लखनऊ विश्वविद्यालय, जानें- इतिहास अपने इन खासियतों के लिए आज भी खास है लखनऊ विश्वविद्यालय

लखनऊ विश्वविद्यालय अपनी खासियत के लिए हमेशा से ही देश-विदेश में चर्चा में रहा है। चाहे यहां के अनमोल रत्न कहे जाने वाले प्रो. राधा कमल मुखर्जी, प्रो. केए सुब्रहम्णयम अय्यर, प्रो. राधा कुमुद मुखर्जी, प्रो. धीरेंद्र नाथ मजूमदार, प्रो. डीपी मुखर्जी सहित कई वरिष्ठ शिक्षक रहे हों। या फिर 101 साल पुरानी टैगोर लाइब्रेरी, 78 साल पुराना भू-गर्भ विज्ञान विभाग का संग्रहालय। 25 नवंबर को अपने 102 वर्ष में प्रवेश करने वाले विश्वविद्यालय पर पेश है एक रिपोर्ट।

टैगोर लाइब्रेरी: एक क्लिक पर हजारों ई-कंटेंट

टैगोर लाइब्रेरी की स्थापना 25 नवंबर 1920 में हुई थी। उस समय यहां करीब 3,700 किताबें उपलब्ध थीं। 101 साल में यह सफर आज साढ़े पांच लाख से ज्यादा किताबों और 10,500 ई-कंटेंट तक पहुंच गया है। विश्वविद्यालय के रेकार्ड के मुताबिक पहले लाइब्रेरी की शुरुआत कैनिंग कॉलेज की इमारत के एक कमरे में हुई थी। बाद में इसका स्थान बदल दिया गया। शुरुआती दौर में यहां 3720 किताबें और सदस्यों की संख्या 272 थी। किताबों की डिमांड इतनी बढ़ी की 1945 में यह संख्या 83,226 पहुंच गई। उसके बाद 2008-09 में विश्वविद्यालय डिजिटलाइजेशन की दिशा में आगे बढ़ा और कुछ ई-बुक कंटेंट की सुविधा शुरू कराई गई। डिप्टी लाइब्रेरियन ज्योति मिश्रा ने बताया कि वर्तमान में लाइब्रेरी में 538 कम्प्यूटर हैं। साढ़े पांच लाख से ज्यादा किताबों के साथ-साथ दो हजार पांडुलिपियां भी मौजूद हैं। इसके अलावा ई-कंटेंट भी काफी उपलब्ध है। विश्वविद्यालय के मुताबिक लाइब्रेरी के नए भवन की योजना प्रसिद्व वास्तुकार ग्रिफिन ने तैयार की थी। उनकी मृत्यु होने की वजह से मार्च 1937 में नए भवन (वर्तमान भवन) की नींव का पत्थर तत्कालीन कुलाधिपति सर हैरी हैग ने रखा था।

भू-गर्भ विज्ञान का संग्रहालय: 35 हजार साल पुराना हाथी का दांत- विश्वविद्यालय की खासियत भू-गर्भ विज्ञान विभाग का सबसे पुराना संग्रहालय भी है। शिक्षकों के मुताबिक यहां 1943 में संग्रहालय की स्थापना हुई थी। यहां एशिया का 35 हजार साल पुराना और 3.54 मीटर लम्बे हाथी दांत, हजारों साल पुराने खनिज, डायनोसार के जीवाश्म, अंडे सहित तमाम चीजें आकर्षण का केंद्र हैं। इसके अलावा पृथ्वी पर सबसे पहले जो जीव आया, उसका जीवाश्म ‘एस्ट्रोमेटोलाइट’ भी यहां मौजूद है। शिक्षकों ने बताया कि हाथी का दांत यमुना नदी के किनारे काल्पी के मैदान में पाया गया था। म्यूजिम में आस्ट्रेलिया से गिफ्ट में मिला उल्का पिंड भी है।

source: dainik jagran

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