मेरिट में आने के बाद भी दाखिला लेने से कतरा रहे हैं अभ्यर्थी, NEP को लेकर भ्रम की स्थिति

-चार साल के स्नातक को लेकर सारे विकल्प स्पष्ट नहीं हैं।

केस-एक: लखनऊ विश्वविद्यालय की बीएससी प्रवेश परीक्षा अच्छे अंकों से पास करने के बाद एक अभ्यर्थी ने काउंसलिंग शुरू होने से पहले ही केकेसी, शिया पीजी कॉलेज और दूसरे कॉलेजों के विकल्प तलाशने शुरू कर दिए। जब इनमें से कहीं बात नहीं बनी तो आखिर में कई गुना ज्यादा फीस देकर एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी में बीबीए में दाखिला ले लिया।

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केस-दो: 12वीं में 92 प्रतिशत अंक, एलयू की बीकॉम प्रवेश परीक्षा में अंडर-100 रैंक और उसके बाद भी छात्रा की कोशिश है कि नेशनल या किसी दूसरे कॉलेज में दाखिला मिल जाए। कारण पूछने पर छात्रा और उसके अभिभावक का कहना है कि लविवि में चार साल का स्नातक करना होगा जबकि कॉलेज में केवल तीन साल का।

ये दो केस तो बानगी भर हैं। ऐसे दर्जनों अभ्यर्थी और उनके मां-बाप इस भ्रम में हैं कि लखनऊ विश्वविद्यालय में अब चार साल का स्नातक करना होगा। उन्हें यह भी लगता है कि यह लखनऊ विश्वविद्यालय की अपनी व्यवस्था है और दूसरे किसी कॉलेज में दाखिला लिया तो तीन साल में ही स्नातक हो जाएगा।

ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है नई शिक्षा नीति (एनईपी-2020) को ठीक से न समझ पाने के कारण। नई व्यवस्था में चार साल का स्नातक हुआ जरूर है लेकिन उसमें कई विकल्प भी हैं। यह लखनऊ विश्वविद्यालय की अपनी नहीं बल्कि केन्द्र सरकार द्वारा लागू व्यवस्था है जो विश्वविद्यालय समेत सभी कॉलेजों पर समान रूप से लागू होगी। एनईपी में एक ओर चार साल का स्नातक किया गया है लेकिन यह फायदा भी है कि स्नातक के बाद सीधे पीएचडी करने की अहर्ता मिल जाएगी। इसके अलावा पहले से लेकर चौथे साल तक बीच में कभी भी कोर्स छोड़ने की आजादी भी है जिसके लिए अलग-अलग शर्तें निर्धारित हैं।

चार साल के स्नातक में विकल्प-

-जो अभ्यर्थी स्नातक का एक साल पूरा करके कोर्स छोड़ना चाहेगा उसे सर्टिफिकेट कोर्स अवॉर्ड किया जाएगा।

-दो साल पूरे करके कोर्स छोड़ने पर डिप्लोमा मिलेगा।

-तीन साल पूरे करने पर बैचलर डिग्री दी जाएगी।

-चार साल का स्नातक पूरा करने वाले छात्र को आखिरी के एक साल रिसर्च में स्पेशलाइजेशन का मौका मिलेगा।

-चार साल के बाद अगर पीजी करना हो तो केवल एक साल का ही पीजी करना पड़ेगा।

-दिल्ली विश्वविद्यालय की तर्ज पर यह व्यवस्था लागू की गई है, चार साल स्नातक के बाद बैचलर डिग्री विद रिसर्च दी जाएगी।

कोट
‘नई शिक्षा नीति में चार साल के स्नातक के अपने फायदे हैं। साथ ही ऐसा भी नहीं है कि लविवि और कॉलेजों में अलग-अलग व्यवस्था है। सभी जगह नियम एक जैसे ही हैं।’ – डॉ. दुर्गेश श्रीवास्तव, प्रवक्ता लखनऊ विवि

Source:live hindustan

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