यूपी सरकार ने जरूरतमंदों को छात्रवृत्ति देने को आसान किए नियम, फर्जी प्रमाण पत्र वाले नहीं कर पाएंगे आवेदन
Scholarship for students समाज कल्याण विभाग ने अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति के लिए संशोधित नियमावली जारी कर दी। प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए स्नातक में 55 फीसद अंकों की बाध्यता खत्म कर दी गई है।
फर्जीवाड़ा रोकने के लिए प्रमाणपत्रों के आनलाइन मिलान की व्यवस्था।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। प्रदेश सरकार ने चुनावी वर्ष में जहां एक ओर अधिक से अधिक गरीब छात्र-छात्राओंं को छात्रवृत्ति देने के लिए नियम शिथिल किए हैं, वहीं छात्रवृत्ति का फर्जीवाड़ा रोकने के लिए भी कई ठोस कदम उठाए हैं। अब आय व जाति प्रमाण पत्र फर्जी हुआ तो छात्र आनलाइन आवेदन पत्र ही नहीं भर पाएंगे। समाज कल्याण विभाग एनआइसी के माध्यम से ऐसा साफ्टवेयर विकसित कर रहा है, जिसमें प्रमाणपत्रों का लाइव मिलान हो सकेगा। यदि प्रमाण पत्र फर्जी है तो उसका नंबर फीड करने पर आनलाइन आवेदन पत्र जमा ही नहीं होगा।
समाज कल्याण विभाग ने अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति के लिए संशोधित नियमावली जारी कर दी। प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए स्नातक में 55 फीसद अंकों की बाध्यता खत्म कर दी गई है। यानी अब स्नातक में 50 फीसद अंक पाने वाले वे छात्र भी छात्रवृत्ति के आवेदन कर सकेंगे, जिन्होंने प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया है। अधिक से अधिक छात्रों को छात्रवृत्ति देने के लिए सरकार ने 31 जुलाई तक मान्यता पाने वाले संस्थानों के छात्रों को योजना में शामिल कर लिया है। अभी तक मान्यता व संबद्धता की 15 जुलाई अंतिम तिथि थी।
नई नियमावली के अनुसार आइटीआइ में दाखिला लेने वाले ऐसे छात्रों की शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं की जाएगी, जिन्होंने कक्षा आठ या हाईस्कूल की परीक्षा छह साल पहले पास की है। सरकार ने प्रमुख सचिव समाज कल्याण की अध्यक्षता में गठित उस समिति को भी खत्म कर दिया है, जो अपने स्तर से कुछ विशेष मामलों में छात्रवृत्ति अनुमोदित कर देती थी। अब सरकार नियमावली के अनुसार ही सभी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करेगी। कोरोना काल में कक्षाएं आनलाइन चल रही हैं, ऐसे में संस्थानों की यह जिम्मेदारी होगी कि छात्रों की उपस्थिति आनलाइन पोर्टल पर दर्ज करें। बगैर परीक्षा के प्रोन्नति पाने वाले छात्रों को भी सरकार छात्रवृत्ति प्रदान करेगी।
ट्रांजेक्शन फेल होने पर भी मिल सकेगी छात्रवृत्ति : दशमोत्तर छात्रवृत्ति में ट्रांजेक्शन फेल होने पर भी अब छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति मिल सकेगी। केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को दशमोत्तर छात्रवृत्ति वितरित करने के लिए एक अलग खाता स्टेट बैंक आफ इंडिया में खोलने के निर्देश दिए हैं। अभी तक कोषागार से छात्रवृत्ति वितरित होती थी, यदि किसी वजह से ट्रांजेक्शन फेल हो जाता है तो छात्रों को पैसा नहीं मिल पाता है। एसबीआइ में खाता खोलने से ट्रांजेक्शन फेल होने पर छात्रों के बैंक खाते में को दोबारा पैसा भेजा जा सकेगा। दशमोत्तर छात्रवृत्ति में पहले 40 फीसद पैसा प्रदेश सरकार खाते में भेजेगी। इसके बाद 60 फीसद धनराशि केंद्र सरकार आधार से लिंक खाते में भेजेगी।
दिव्यांग छात्रों को मिलेगा 10 फीसद अतिरिक्त : सरकार अब दिव्यांग छात्रों को छात्रवृत्ति के अलावा मिलने वाला शैक्षणिक भत्ता भी 10 फीसद अतिरिक्त प्रदान करेगी। यानी किसी पाठ्यक्रम का यदि शैक्षणिक भत्ता एक हजार रुपये है तो दिव्यांग छात्रों को 1100 रुपये दिए जाएंगे। वहीं, भारतीय पुनर्वास परिषद नई दिल्ली द्वारा मान्यता प्राप्त निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों में संचालित पाठ्यक्रमों को अब डा. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ से सत्यापन कराना होगा। साथ ही दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के विभागाध्यक्ष से भी पाठ्यक्रम को संस्तुत कराना होगा। इसके बगैर छात्रवृत्ति नहीं मिलेगी।
आवेदन निरस्त होने पर डीएम के यहां कर सकेंगे अपील : छात्रवृत्ति के आवेदन पत्र यदि किन्हीं कारणों से जिला स्तरीय समिति निरस्त करती है तो छात्र इसकी अपील जिलाधिकारी के यहां कर सकते हैं। जिलाधिकारी को आवेदन पत्र निस्तारित करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। इसमें जिलाधिकारी का जो भी निर्णय होगा वह अंतिम माना जाएगा।
नैक व एनबीए ग्रेडिंग के लिए 2024 तक का समय : प्रदेश सरकार ने सभी सरकारी व प्राइवेट विश्वविद्यालय व शिक्षण संस्थानों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) व नेशनल बोर्ड आफ एक्रीडिटेशन (एनबीए) की ग्रेडिंग प्राप्त करने के लिए 2024 तक का समय प्रदान कर दिया है। इसके बाद यानी वर्ष 2025 में इसकी ग्रेडिंग न लेने वाले संस्थानों के छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिल पाएगी।