60 % लाने पर ही मिलेगी यूपी स्कॉलरशिप का लाभ!

-समाज कल्याण विभाग ने हर साल वंचितों की संख्या बढ़ने का संकट खत्म करने को बनाया नया प्रस्ताव

कक्षा 10 से ऊपर की कक्षाओं और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले सामान्य वर्ग के गरीब छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की सरकारी सुविधा पाने के लिए अब हर साल 60 प्रतिशत से ऊपर प्राप्तांक लाने ही होंगे। बजट की कमी से पिछले कुछ वर्षों से आवेदन करने के बावजूद यह सुविधा पाने से वंचित रह जा रहे छात्र-छात्राओं की बढ़ती दिक्कतों को देखते हुए समाज कल्याण विभाग ने यह नया प्रस्ताव तैयार किया है। जल्द ही इस प्रस्ताव को शासन की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।

मौजूदा व्यवस्था में सरकारी व अनुदानित शिक्षण संस्थानों में कक्षा 10 से ऊपर की कक्षाओं और गैर व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले सामान्य वर्ग के छात्र-छात्राओं को 60 प्रतिशत से कम अंक पाने पर भी छात्रवृत्ति व फीस भरपाई की सुविधा मिल जाती है। इसके अलावा व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में जहां काउंसिंग से दाखिले होते हैं वहां भी यही व्यवस्था है।

जिन शिक्षण संस्थानों में काउंसिलिंग के बजाए अंकों के आधार पर दाखिले होते हैं, उन संस्थानों के सामान्य वर्ग के छात्र-छात्राओं के प्राप्तांक 60 प्रतिशत से ऊपर होने पर ही छात्रवृत्ति व फीस भरपाई की सुविधा मिलती है। मगर अब सरकारी, अनुदानित, निजी शिक्षण संस्थानों के व्यावसायिक व गैर व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में पढ़ रहे सामान्य वर्ग के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति व फीस भरपाई की पात्रता के लिए 60 प्रतिशत से ऊपर प्राप्तांक हर साल लाने होंगे।

यही नहीं विभाग सामान्य वर्ग के इन जरूरतमंद छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति व फीस भरपाई की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए बजट बढ़ाने का अनुरोध करेगा। बताते चलें कि वर्ष 2019-20 के शैक्षिक सत्र में सामान्य वर्ग के पोस्ट मैट्रिक छात्र-छात्राओं के लिए 825 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हुई थी, जिसमें से 187 करोड़ रुपये ओबीसी के छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति व फीस भरपाई के लिए दे दिए गए थे। बाकी 638 करोड़ रुपये की राशि से सामान्य वर्ग के छात्र-छात्राओं को लाभान्वित किया गया था।

2020-21 के शैक्षिक सत्र में सामान्य वर्ग के पोस्ट मैट्रिक छात्र-छात्राओं के लिए पहले 500 करोड़ और फिर पुर्नविनियोग से 160 करोड़ मिले थे। मगर चालू शैक्षिक सत्र में इस मद में राज्य सरकार ने कुल 400 करोड़ ही दिये। विभाग ने पारिवारिक लाभ योजना में आवेदन कम आने की वजह से बचे बजट में से 175 करोड़ रुपये पुर्नविनियोग से लेकर 5.38 लाख छात्र-छात्राओं को लाभान्वित किया इसके बावजूद 3.92 लाख छात्र-छात्राएं पात्रता के बावजूद वंचित रह गए।

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