लखनऊ यूनिवर्सिटी के 101 साल:छात्रों ने यहां से पढ़कर देश-दुनिया में कमाया नाम, राष्ट्रपति से लेकर मुख्यमंत्री तक दिया
लखनऊ यूनिवर्सिटी के 101 साल:छात्रों ने यहां से पढ़कर देश-दुनिया में कमाया नाम, राष्ट्रपति से लेकर मुख्यमंत्री तक दिया
लखनऊ विश्वविद्यालय स्थापना के 101 वर्ष पूरा कर चुका है।
LU यानी लखनऊ यूनिवर्सिटी आज 101 साल का हो रहा है। यूनिवर्सिटी के शिक्षकों का कहना है कि इसकी स्वर्णिम और गौरवशाली यात्रा किसी से छिपी नहीं। विश्वविद्यालय के छात्रों ने देश-दुनिया में डंका बजाया है। राष्ट्रपति से लेकर मुख्यमंत्री तक देने वाला यह विश्वविद्यालय आज अपने उन्हीं पूर्व छात्रों की उपलब्धि को देखकर इतरा रहा है।
पेश है यूनिवर्सिटी के ऐसे ही नायाब सितारों से बातचीत पर आधारित रिपोर्ट –
एक से बढ़कर एक सूरमा यहां से हुए हैं दीक्षित
लखनऊ यूनिवर्सिटी ने वैज्ञानिक, राजनेता, नौकरशाह जैसे तमाम विधाओं के बड़े नाम दिए। फिर चाहे पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा हों या सुरजीत सिंह बरनाला जैसे कद्दावर राजनीतिज्ञ। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी हों या यूपी के डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा। प्रदेश के मंत्री बृजेश पाठक, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, विजयराजे सिंधिया, रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने भी यहां शिक्षा ली।
भजन गायक अनूप जलोटा, फेमस प्लेबैक सिंगर अभिजीत, प्लानिंग कमीशन के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, हाल ही में पद्मश्री से सम्मानित वैज्ञानिक नवीन खन्ना, चंद्रयान-2 की मिशन निदेशक रितु करिधाल ने भी लखनऊ यूनिवर्सिटी का नाम ऊंचा किया है।
देश में निर्मित हो रही RNA बेस्ड कोरोना वैक्सीन के जनक डॉ. संजय सिंह, यूपी की सीनियर आईएएस आराधना शुक्ला, ओडिशा की प्रमुख सचिव अनु गर्ग भी इसी यूनिवर्सिटी के छात्र रहे हैं। सपा सरकार में मंत्री अरविंद सिंह गोप, भाजपा नेता और प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह भी यहीं से पढ़कर आगे बढ़े।
नहीं भूले यूनिवर्सिटी परिसर में बीते 27 साल
लखनऊ यूनिवर्सिटी के बेहद उम्दा माने जाने वाले M.Sc. बायो केमिस्ट्री के स्टूडेंट रहे संजय सिंह के पिता प्रो. बीके पीएन सिंह यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर रहे। यही कारण रहा कि 1978 से 1996 तक लगभग 27 साल यहीं रहना हुआ। M.Sc. के बाद CDRI से Ph.d. पूरा की और साल 2000 में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ, अमेरिका जाने का अवसर मिला।
2006 में वापस आकर पुणे में जिनोवो बायो फार्मास्युटिकल्स की स्थापना हुई। उनकी अगुवाई में मलेरिया, HPV, ट्यूबर क्लोसिस की वैक्सीन के अलावा कोरोना की RNA बेस्ड वैक्सीन विकसित करने में शोध जारी है। डॉ. संजय इंडो-यूएस वैक्सीन एक्शन प्रोग्राम (VAP) के इनवाइटेड मेंबर हैं। डॉ. संजय कहते हैं कि यूनिवर्सिटी की पढ़ाई से ही स्टूडेंट का फ्यूचर डिसाइड होता है। मेरी कामयाबी में यूनिवर्सिटी का बहुत बड़ा योगदान है और अभी भी बहुत कुछ यूनिवर्सिटी के लिए और यहां के स्टूडेंट्स के लिए करना चाहता हूं।
यादों के झरोखे में यूनिवर्सिटी
18वीं शताब्दी के आखिरी दशक में राजा महमूदाबाद की जमीन पर एक स्कूल शुरू हुआ था। यह स्कूल एक अंग्रेज गवर्नर की याद में कैनिंग कॉलेज बन गया। कैनिंग कॉलेज 1920 में लखनऊ यूनिवर्सिटी के नाम से जाना जाने लगा। लखनऊ यूनिवर्सिटी ने देश को डॉ. बीरबल साहनी जैसे विज्ञानी दिए तो डॉ. शंकर दयाल शर्मा जैसे राजनीतिज्ञ भी। शुरुआती दौर में यहां महज 6 से 7 विभाग ही थे। इनमें हिंदी, संस्कृत और फारसी विषय थे। फिलहाल अब करीब 45 विभाग हो चुके हैं। 25 नवंबर 1920 को बने इस यूनिवर्सिटी में 17 जुलाई 1921 को पहला शैक्षिक सत्र शुरू हुआ।
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